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हिंदी चेतना - अंक अप्रैल २०११



हिंदी चेतना - अंक अप्रैल २०११ (कृपया इस लिंक पर क्लिक कर के पत्रिका डाउनलोड करें)

इस अंक की सामग्री आप को रुचिकर लगेगी......
  • कहानियाँ --नीना पॉल , डॉ. सुदर्शन प्रियदर्शिनी, शैलजा सक्सेना |
  • लघुकथाएं --रचना श्रीवास्तव , आकांक्षा यादव, महेश द्विवेदी |
  • व्यंग्य --समीर लाल 'समीर' |
  • आलेख -देवेन्द्र पॉल गुप्ता , सीता राम गुप्ता, प्रीत अरोड़ा |
  • ग़ज़लें-कविताएँ -- निर्मल गुप्ता, अनिल श्रीवास्तव, पंकज त्रिवेदी, मधु वार्ष्णेय, दीपक मशाल, भारतेंदु श्रीवास्तव,
  • बिंदु सिंह, डॉ. अफ़रोज़ ताज, भगवत शरण श्रीवास्तव, अलका सैनी, जय प्रकाश मानस, अनिल प्रभा कुमार, रेखा मैत्र, डॉ. पद्मजा विजया दास |
  • पुस्तक समीक्षा - कौन सी ज़मीन अपनी.., बेनाम रिश्ते, अनुस्मृति |
  • अधेड़ उम्र में थामी कलम --हरीश चंदर शर्मा |
  • आख़िरी पन्ना - सुधा ओम ढींगरा |
  • साहित्यिक समाचार

सुधा ओम ढींगरा
संपादक -हिन्दी चेतना

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3 टिप्पणियाँ:

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद said...

सम्पादकीय में जिस ओर इशारा किया गया है, उसे विड़्म्बना ही कहा जाएगा क्योंकि साहित्यकारों को जिस प्रकार बांटा जा रहा है वह विचारणीय है। भारत में ही उत्तर और दक्षिण की रेखा खींची जाती है तो वैश्विक स्तर पर भारतीय और विदेशी की! साहित्य के इतिहास में भी इस रेखा को भली भांति देखा जा सकता है। और, आकांक्षा यह की जाती है कि हिंदी अंतरराष्ट्रीय स्तर की भाषा बने।

हिंदी चेतना एक स्तुतीय कार्य कर रही है जो हिंदी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने में सहायक होगी। देश-विदेश के रचनाकारों को इस पत्रिका में स्थान दिया गया है। विदेशी साहित्यिक गतिविधियों की जानकारी दी जा रही है। एक चिंतनपरक अंक निकालने के लिए बधाई, जिसमें कहानी, कविता, लेख, व्यंग्यादि के माध्यम से मानवीय सरोकारों पर प्रकाश डाला गया है। साहित्य की रेखा पर इस अंक में अनिल प्रभा कुमार की कविता को उद्धृत करें तो-
तब भी खींच दी सीमा
अग्नि रेखा की
आदतन॥

सुनील गज्जाणी said...

सादर प्रणाम !
सुधा मेम !
हिंदी चेतना में स्वयं को प्रकाशित होना बड़ी बात है एक अलग ही अनुभूति हासिल होती है ,हमे खुशी है कि हिंदी चेतना कवक उतरी अमेरिका कि ही नहीं पुरे विश्व के हिंदी भाषियों कि है , ऐसा मैं मानता हूँ क्यूँ कि जो भी रचनाकार है वो विश्व में कही भी रहता हो वो '' हिंदी चेतना में स्थान पाता है और इस अनुपम प्रयास के लिए पूरी हिंदी चेतना कि टीम बधाई कि पात्र है , निरंतर यूही ही ने एमुकाम हासिलकरती रहे ये कामना है !
सादर

सुरेश यादव said...

हिंदी चेतना का यह अंक भी सार गर्भित रचनात्मक सामग्री से भरपूर है .विश्वपटल पर हिंदी भाषा और हिंदी साहित्य के लिए हिंदी चेतना का योगदान महत्वपूर्ण है सुधा जी को हार्दिक बधाई .

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