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हिंदी चेतना - अंक अक्टूबर २०१० - महामना पंडित मदन मोहन मालवीय विशेषांक'



महामना से जुड़े अनेक संस्मरण, कविताएं, प्रेरक प्रसंग अपने में समेटे प्रस्तुत है हिंदी चेतना का 'महामना पंडित मदन मोहन मालवीय विशेषांक'.

हिंदी चेतना - अंक अक्टूबर २०१० (कृपया इस लिंक पर क्लिक कर के पत्रिका डाउनलोड करें)

आपकी प्रतिक्रियाएं हमें प्रेरणा प्रदान करती हैं अतः निःसंकोच हो मन की बात लिखें.
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और अब देखिये, कुछ सुखद चित्र


चित्र १ - विश्व ब्राह्मण फेडरेशन आफ कनाडा द्वारा १४ नवम्बर २०१० को 'हिन्दी चेतना' के मुख्य सम्पादक श्री श्याम त्रिपाठी जी को उनकी हिंदी की सेवाओं के लिए सम्मानित किया गया
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चित्र २ - नार्थ कैरोलाईना के ट्राईंएंगल एरिया की उर्दू मजलिस जो उर्दू साहित्य की सोसाईटी है और कैरोलाईना एशिया सेण्टर ने मिल कर फेड एक्स ग्लोबल एजुकेशन, यू एन सी चैपल हिल के तत्वाधान में 'हिन्दी चेतना' के महामना मदन मोहन मालवीय विशेषांक का विमोचन बहुत धूमधाम से किया|
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चित्र ३ - विश्व्व ब्राह्मण फेडरेशन आफ कनाडा द्वारा 'हिन्दी चेतना' के महामना मदन मोहन मालवीय विशेषांक का विमोचन किया गया
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चित्र ४ - कैम्ब्रिज नगर ओंटेरियो में एक विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रम में पंडित मदनमोहन मालवीय अंक का विमोचन किया गया, इसमें टोरंटो के लगभग सभी हिंदी प्रेमी एकत्रित थे जिन्होंने इस विमोचन की शोभा बढ़ाई

'हिंदी चेतना' परिवार अपनी भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित करता है.


नयी दिल्ली । हिंदी के जाने माने साहित्यकार और पत्रकार कन्हैयालाल नंदन का आज 25 सितंबर को तड़के यहाँ निधन हो गया। वह 77 वर्ष के थे। नंदन के परिवार के सदस्यों ने बताया कि उन्हें बुधवार शाम रक्तचाप कम होने और साँस लेने में तकलीफ़ होने के बाद राष्ट्रीय राजधानी स्थित रॉकलैंड अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्होंने आज तडके तीन बजकर 10 मिनट पर अंतिम साँस ली। वह पिछले काफ़ी समय से डायलिसिस पर थे। उनके परिवार में पत्नी और दो पुत्रियाँ हैं।

नंदन का जन्म उत्तर प्रदेश के फ़तेहपुर जिले में 1 जुलाई 1933 को हुआ था। डीएवी कानपुर से स्नातक करने के बाद उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर किया और भावनगर विश्वविद्यालय से पीएच.डी की। पत्रकारिता में आने से पहले नंदन ने 4 वर्षों तक मुम्बई के महाविद्यालयों में अध्यापन कार्य किया। वह वर्ष 1961 से 1972 तक धर्मयुग में सहायक संपादक रहे। 1972 से दिल्ली में क्रमश: पराग, सारिका और दिनमान के संपादक रहे । तीन वर्ष तक दैनिक नवभारत टाइम्स में फ़ीचर संपादक, 6 वर्ष तक हिन्दी संडे मेल में प्रधान संपादक और 1995 से इंडसइंड मीडिया में निदेशक के पद पर कार्य करके उन्होंने हिन्दी पत्रकारिता के नये सोपानों को तय किया ।

नंदन को पद्मश्री, भारतेंदु पुरस्कार, अज्ञेय पुरस्कार और नेहरू फ़ैलोशिप सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। उन्होंने विभिन्न विधाओं में तीन दर्जन से अधिक पुस्तकें लिखीं। वह मंचीय कवि और गीतकार के रूप में मशहूर रहे। उनकी प्रमुख कृतियाँ लुकुआ का शाहनामा, घाट-घाट का पानी, आग के रंग, समय की दहलीज़ बंजर धरती पर इंद्रधनुष,गुज़रा कहाँ कहाँ से आदि‍ तीन दर्जन पुस्तकें लिखी हैं जो विभिन्न विधाओं को समृद्ध करती हैं । वह मंचीय कवि और गीतकार के रूप में मशहूर रहे।
'हिंदी चेतना' परिवार अपनी भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित करता है.


Kanhaiya Lal Nandan passes away
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हिंदी चेतना - अंक जुलाई २०१०


हिंदी चेतना - अंक जुलाई २०१० (कृपया इस लिंक पर क्लिक कर के पत्रिका डाउनलोड करें)
लीजिये एक बार पुनः हिंदी चेतना आपके पास है. अपनी भाषा में अपने लोगों के पास. आपकी प्रतिक्रियाओं की प्रतीक्षा रहेगी.


हिन्दी चेतना में इस बार .....

- कहानियाँ-- राम जाने (पंकज सुबीर), टेलीफोन लाइन (तेजेंद्र शर्मा), पगड़ी (सुमन घई)
- संस्मरण-- रिश्ता (सुधा गुप्ता), दृश्य पटकथा पात्र (शशि पाधा)
- हिन्दी ब्लाग में इन दिनों-- आत्माराम शर्मा
- व्यंग्य-- प्रेम जनमेजय, समीर लाल समीर
- कविताएँ--सुदर्शन प्रियदर्शनी, दिविक रमेश, इला प्रसाद, धनञ्जय कुमार, वेदप्रकाश बटुक, प्रेम मलिक, अदिति मजूमदार, बी मरियम, डॉ गुलाम मुर्तज़ा
- अमेरिका, कैनेडा , यू.के , भारत से कई लेख, ललित निबंध, लघुकथाएं, साहित्यिक समाचार..
- और भी बहुत कुछ - रोचक और पठनीय

हिंदी चेतना - अंक अप्रैल २०१०


हिंदी चेतना - अंक अप्रैल २०१० (कृपया इस लिंक पर क्लिक कर के पत्रिका डाउनलोड करें)
लीजिये एक बार पुनः हिंदी चेतना आपके पास है. अपनी भाषा में अपने लोगों के पास. आपकी प्रतिक्रियाओं की प्रतीक्षा रहेगी.


हिन्दी चेतना में इस बार .....

- कहानियाँ-- उसके हिस्से का पुरुष (पुष्प सक्सेना), खो जाते हैं घर (सूरज प्रकाश), तमाचे (प्रतिभा सक्सेना), खुल जा सिमसिम (सुषम बेदी)
- संस्मरण-- एक दरवाज़ा बंद हुआ तो दूसरा खुला -डॉ. अंजना संधीर
- हिन्दी ब्लाग में इन दिनों-- आत्माराम शर्मा
- व्यंग्य-- समीर लाल समीर, पराशर गौड़ , प्रेम जन्मेजय
- कविताएँ-- रविकांत पाण्डेय, रचना श्रीवास्तव, सरस्वती माथुर, राजीव रंजन, योगेन्द्र शर्मा, नरेंद्र टंडन, गजेश धारीवाल, बी एस श्रीवास्तव
- अमेरिका, कैनेडा , यू.के , भारत से कई लेख, साहित्यिक समाचार
- और भी बहुत कुछ - रोचक और पठनीय

हिंदी चेतना - अंक जनवरी २०१०

हिंदी चेतना - अंक जनवरी २०१० (कृपया इस लिंक पर क्लिक कर के पत्रिका डाउनलोड करें)
नव वर्ष में, नए संगठन, नई छटा, नए तेवरों, नए रंग रूप के साथ ''हिन्दी-चेतना'' के नए अंक को अपने आदरणीयों के आशीर्वाद और प्रियों की स्नेह भरी प्रतिक्रियाओं का इंतज़ार रहेगा. आपकी प्रतिक्रियाओं से हमको प्रेरणा और साहस मिलता है कुछ बेहतर करने का अतः निःसंकोच होकर हमें लिखें.
हिन्दी चेतना में इस बार .....
  • कहानियाँ-- अब के बिछुड़े -सुदर्शन प्रियदर्शनी, मुन्ना -डॉ. मधु संधु, अमरीका वाला-डॉ. अफ़रोज़ ताज, जहाँ से चले थे -मनमोहन गुप्ता मोनी
  • संस्मरण --एक दरवाज़ा बंद हुआ तो दूसरा खुला -डॉ. अंजना संधीर
  • हिन्दी ब्लाग में इन दिनों --आत्माराम शर्मा
  • व्यंग्य -समीर लाल समीर
  • लघु कथाएँ -अखिलेश शुक्ल
  • कविताएँ-पूर्णिमा वर्मन, देवमणि पाण्डेय, शार्दूला नोगजा, शशि पाधा, योगेन्द्र मौदगिल आदि ..
  • अमेरिका, कैनेडा , यू.के , भारत से कई लेख, साहित्यिक समाचार
  • और भी बहुत कुछ - रोचक और पठनीय