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व्यंग्यकार एवं लघुकथाकार श्री रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' द्वारा कैनेडा में हुआ 'हिन्दी चेतना' के प्रेमजनमेजय विशेषांक का विमोचन


हिंदी प्रचारिणी सभा एवं हिंदी मार्खम बुक क्लब की ओर से गत ३ दिसम्बर को मिलिकं मिल्स लाइब्रेरी ७६०० कैनेडी रोड, मार्खम , ओंटेरियो, कनाडा में एक साहित्यिक संध्या का आयोजन किया गया | भारत से आए सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार एवं लघुकथाकार श्री रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' मुख्य अतिथि थे | हिंदी प्रचारिणी सभा के अध्यक्ष एवं हिंदी चेतना के प्रमुख सम्पादक श्री श्याम त्रिपाठी जी ने हिमांशु जी को हिंदी प्रचारिणी सभा की ओर से मान पत्र भेंट कर कार्यक्रम आरम्भ किया |

तदुपरांत

श्री रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' ने 'हिन्दी चेतना' के प्रेम जनमेजय विशेषांक का विमोचन किया |



इस अवसर पर श्री रामेश्वर काम्बोज ने हिंदी चेतना की प्रशंसा करते हुए, प्रेम जनमेजय के जीवन और साहित्य के विषय में बहुत सुंदर और भावपूर्ण शब्द कहे | 'हिंदी चेतना' के सम्पादक मंडल को बधाई देते हुए उन्होंने कहा - 'हिंदी चेतना' आज विश्व की गिनी चुनी पत्रिकाओं में से एक है | आजकल भारत में भी इस स्तर की बहुत कम पत्रिकाएं रह गईं हैं | 'हिंदी चेतना' ही एक ऐसी पत्रिका है, जो विदेशों के हिन्दी साहित्यकारों के साथ- साथ भारत के साहित्यकारों को भी सम्मानित करती है | हिन्दी चेतना के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए उन्होंने व्यंग्य यात्रा के संपादक प्रेम जनमेजय जी और हिन्दी चेतना के मुख्य संपादक श्याम त्रिपाठी को निस्वार्थ भाव से हिन्दी पत्रिकाओं को समर्पित व्यक्तित्व बताया | इसके बाद श्री कम्बोज जी ने लघुकथा की कला व उसके तत्त्वों पर बहुत सुन्दरता से विवेचना की | साथ ही 'हिंदी हायकू, तांका और चौका आदि विधाओं पर प्रकाश डाला और अपनी ३ सुंदर लघु कथाएँ सुनाकर श्रोताओं को मन्त्र मुग्ध कर दिया | उन्होंने श्रोताओं को धन्यवाद देते हुए कहा कि ऐसा शांतिमय वातावरण मैंने भारत में साहित्य अकेडमी के कार्यक्रमों में भी नहीं देखा| इसके बाद श्रोताओं ने काम्बोज जी से कुछ प्रश्न पूछे और उन्होंने बड़ी कुशलता और सहजता से उनके उत्तर दिए |

मुख्य अतिथि रामेश्वर काम्बोज जी को सुनने के बाद टोरोंटो के जाने माने कविजन ( ब्रजमोहन मेहरा, आशा बर्मन, दीप्ती कुमार अचला, भारतेंदु श्रीवास्तव , स्नेह सिंघवी, देवेन्द्र मिश्रा, और प्रोमिला भार्गव ) ने अपनीरचनाएँ सुना कर समय को खूब बाँधा | कार्यक्रम अत्यंत सफल और स्मरणीय था |

:संजय वर्मा (
ओंटेरियो, कैनेडा
)

6 टिप्पणियाँ:

उमेश महादोषी said...

हिंदी चेतना निश्चित रूप से अच्छा कार्य कर रही है. भारत के वरिष्ठ साहित्यकार आद. हिमांशु जी की कनाडा में उपस्थिति का हिंदी साहित्य को वहां प्रोत्साहित करने की दृष्टि से लाभ भी आप लोग उठा रहे हैं, यह अच्छी बात है. हिमांशु जी भारत में लघुकथा, हाइकु, तांका आदि हिंदी साहित्य की कई महत्वपूर्ण विधाओं पर बेहद महत्वपूर्ण कार्य तो कर ही रहे हैं, अनेकों नए रचनाकारों की लेखन प्रेरणा के स्रोत हैं.

डॉ. जेन्नी शबनम said...

bahut khushi hui tasweer dekhkar aur khabar padhkar. aapki khyaati aur samman videsh mein bhi utni hin hai jitni yahan ye jaankar bahut harsh hua. saahitya ke kshetra mein aap aur shirsh par pahunche, meri shubhkaamnaa hai.

Dr.Bhawna Kunwar said...

Kamboj ji ko is samman ke liye hardik badhai...ismen koi shak nahi ki kamboj ji hindi ke prchar ke liye sachche hrdya se seva kar rahen hain unki kabiliyat ka bhi javab nahi...bahut 2 badhai..

shobha rastogi shobha said...

shukriya kamboj ji, vishav me hindi ki pataka fahrane ke liye .... aapne sabhi bharatvasiyon ka mastak garv se oonch kar diya . badhaee...

त्रिवेणी said...

हिंदी चेतना पत्रिका के बारे में जनना बहुत अच्छा लगा और उससे भी ज्यादा ख़ुशी यह पढकर हुई कि हिमांशु जी को सम्मानित किया गया |
हिंदी साहित्य के क्षेत्र में आदरणीय रामेश्वर जी को मिले सम्मान के लिये बहुत बधाई ! प्रेमजनमेजय विशेषांक के लिये श्री त्रिपाठी जी को और संपादक मंडल को
बधाई !
हरदीप

सुरेश यादव said...

रामेश्वर हिमांशु कम्बोज जी के द्वारा जो कुछ हिंदी चेतना के वारे में कहा गया वह सच है .त्रिपाठी जी और उनकी टीम बहुत निष्ठां केसाथ साहित्य सेवा कर रहे हैं .बधाई के पात्र हैं .हिमांशु जी को भी बधाई .

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