(लन्दन)
– “प्रवासी हिन्दी साहित्य किसी भी तरह से मुख्यधारा के साहित्य से कमतर नहीं है।
बेशक फ़िलहाल इसकी बहुत चर्चा नहीं हो रही है, मगर इस बात का इत्मिनान रखिये कि आपकी कहानियां पाठक पहचान रहे हैं। लेखक के
लिये पाठक ही महत्वपूर्ण है, वही आपकी कहानी को ज़िन्दा रखेगा।” यह कहना था कथा यूके द्वारा
अंतर्राष्ट्रीय इन्दु शर्मा कथा सम्मान से अलंकृत सीहोर के कथाकार पंकज सुबीर का। वे
अपने सम्मान के बाद लन्दन के हाउस ऑफ़ कॉमन्स में बोल रहे थे। उन्हें यह सम्मान सामयिक
प्रकाशन द्वारा प्रकाशित उनके कहानी संग्रह महुआ घटवारिन एवं अन्य कहानियां के लिये
दिया गया।
19वां अंतर्राष्ट्रीय इन्दु शर्मा कथा सम्मान
समारोह लन्दन के हाउस ऑफ़ कॉमन्स में सांसद विरेन्द्र शर्मा, सुश्री संगीता बहादुर (मंत्री-संस्कृति,
भारतीय उच्चायोग), काउंसलर ज़किया ज़ुबैरी एवं
भारतीय उच्चायोग की सुश्री पद्मजा की उपस्थिति में सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर बर्मिंघम
के डॉ कृष्ण कन्हैया को उनके वाणी प्रकाशन से प्रकाशित कविता संग्रह किताब ज़िन्दगी
की के लिये पद्मानन्द साहित्य सम्मान से विभूषित किया गया। दोनों लेखकों को शॉल,
श्रीफल, मानपत्र एवं स्मृतिचिन्ह भेंट किया गया।
पंकज सुबीर के मानपत्र का पाठ जय वर्मा ने और डॉ. कृष्ण कन्हैया
के मानपत्र का पाठ कथा यू.के. की मुंबई
प्रतिनिधि मधु अरोड़ा ने किया।
कथा यू.के. के महासचिव एवं कार्यक्रम
संचालक तेजेन्द्र शर्मा ने विषय प्रवर्तन करते हुए कहा, “कथा साहित्य की लोकप्रियता का एक कारण
यह भी है कि इस में लेखक आसानी से सच भी बोल लेता है और झूठ भी। याद रहे किसी भी देश
में यदि साहित्य अपना महत्व खो रहा है तो जल्दी ही वो देश भी अपना अस्तित्व खो देगा।
अच्छा साहित्य पढ़ने वाले और लिखने वाले – दोनों को बेहतर इन्सान बनाता है”
स्वागत भाषण देते हुए कथा यू.के. की संरक्षक ज़किया
जुबैरी ने पंकज सुबीर की कहानी दो एकान्त एवं डॉ.कृष्ण कन्हैया
की कविताओं पर चर्चा की एवं प्रवासी साहित्य पर बात करते हुए कहा - “मुझे विश्वास है कि जिसे प्रवासी साहित्य कहा जाता है उसे अपना सही मुकाम अवश्य
हासिल होगा। आज हमारे पास ऐसे महत्वपूर्ण कथाकार, कवि, नाटककार मौजूद हैं जो भारत की मुख्यधारा के लेखकों
के समक्ष आसानी से खड़े हो सकते हैं।”
भारत के कार्यकारी उच्चायुक्त डॉ. विरेन्द्र पॉल का सन्देश उनकी अनुपस्थिति में
हिन्दी एवं संस्कृति अधिकारी श्री बिनोद कुमार ने पढ़ा।
वन्दना मुकेश शर्मा ने कृष्ण कन्हैया
को एक सजग तथा जीवन मूल्यों का रक्षक रचनाकार बताया। उनके आलेख का पाठ लेस्टर की कथाकार
नीना पॉल ने किया।
कृष्ण कन्हैया ने सम्मान प्राप्त करने
के पश्चात कथा यूके के निर्णायक मण्डल का धन्यवाद करते हुए कहा, “मेरी कोशिश रहेगी कि मैं हिन्दी की सेवा में प्रयत्नशील रहूं। ये पल मेरे लिये
धरोहर के समान हैं।”
डॉ. कविता वाचक्नवी ने पंकज सुबीर के कहानी संग्रह पर चर्चा करते हुए कहा,
“इन कहानियों में आज के समय की विद्रूपताएं
सामने आई हैं। पंकज सुबीर एक सशक्त कथाकार हैं। भाषा एवं शिल्प पर स्थानीयता का प्रभाव
भी उनकी कहानियों में देखने को मिलता है।”
नेहरू केन्द्र की निदेशक संगीता बहादुर
ने भरोसा दिलाया कि ‘हिन्दी को भविष्य
भाषा बनने से कोई नहीं रोक सकता। तेजेन्द्र शर्मा और कथा यू..के. ब्रिटेन में हिन्दी
का परचम थामें हुए हैं।’
सुश्री पद्मजा ने कहा कि “कहानी लेखक की नहीं होती, उस पर पाठक का अधिकार होता है। साहित्य का मुख्य
मक़सद मनुष्य की अन्तरआत्मा को ऊपर उठाना है।”
सांसद श्री विरेन्द्र शर्मा ने कहा
कि, “यहां ब्रिटेन में हिन्दी के लिये बहुत अच्छा काम हो रहा है। हिन्दी हमारे मुल्क़
की भाषा है और हमें उस पर गर्व है। मुझे विश्वास है कि पंकज सुबीर यहां से कुछ सुनहरी
यादें साथ ले कर जाएंगे।”
अन्त में संस्था के अध्यक्ष कैलाश बुधवार
ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। इस अवसर पर मोहन राणा, विजय राणा, दिव्या माथुर, उषा राजे
सक्सेना, डॉ. कृष्ण कुमार, कादम्बरी मेहरा, अरुण सभरवाल, साथी
लुधियानवी, शिखा वार्ष्णेय, डॉ.
श्याम मनोहर पाण्डेय, के.बी.एल. सक्सेना, डॉ. महीपाल वर्मा, रमा जोशी,
स्वर्ण तलवाड़, परवेज़ मुज़्ज़फ़र, नरेन्द्र ग्रोवर, सुरेन्द्र कुमार, आदि साहित्यकारों सहित बड़ी संख्या में श्रोतागण उपस्थित थे।
तेजेन्द्र शर्मा
महासचिव कथा यू.के.